*किसानों के मसीहा हरियाणा के सपूत रहब_ ए_आजम दीनबंधु सर छोटू राम जी* की जयंती पर पुष्पांजलि अर्पित कर उनको श्रद्धांजलि दी !

सर छोटू राम, (जन्म-24 नवंबर 1881 - 9 जनवरी 1945) ब्रिटिश भारत के पंजाब प्रांत के एक प्रमुख राजनेता एवं विचारक थे। उन्होने भारतीय उपमहाद्वीप के ग़रीबों के हित में काम किया। इस उपलब्धि के लिए, उन्हें 1937 में 'नाइट' की उपाधि दी गई। राजनीतिक मोर्चे पर, वह नेशनल यूनियनिस्ट पार्टी के सह-संस्थापक थे, जिसने स्वतंत्रता-पूर्व भारत में संयुक्त पंजाब प्रांत पर शासन किया और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और मुस्लिम लीग को दूर रखा।[

छोटूराम का जन्म रोहतक के छोटे से गांव गढ़ी सांपला में बहुत ही साधारण परिवार में हुआ (झज्जर उस समय रोहतक जिले का ही अंग था)। छोटूराम का असली नाम राय रिछपाल था। वे अपने भाइयों में से सबसे छोटे थे इसलिए सारे परिवार के लोग इन्हें छोटू कहकर पुकारते थे। स्कूल रजिस्टर में भी इनका नाम छोटूराम ही लिखा दिया गया और ये महापुरुष छोटूराम के नाम से ही विख्यात हुए। प्रथम विश्‍वयुद्ध के समय में चौधरी छोटूराम जी ने रोहतक से 22,144 जाट सैनिक भरती करवाये जो सारे अन्य सैनिकों का आधा भाग था। अब तो चौ. छोटूराम एक महान क्रांतिकारी समाज सुधारक के रूप में अपना स्थान बना चुके थे। इन्होंने अनेक शिक्षण संस्थानों की स्थापना की जिसमें "जाट आर्य-वैदिक संस्कृत हाई स्कूल रोहतक" प्रमुख है। एक जनवरी 1913 को जाट आर्य-समाज ने रोहतक में एक विशाल सभा की जिसमें जाट स्कूल की स्थापना का प्रस्ताव पारित किया जिसके फलस्वरूप 7 सितम्बर 1913 में जाट स्कूल की स्थापना हुई।

वकालत जैसे व्यवसाय में भी चौधरी साहब ने नए ऐतिहासिक आयाम जोड़े। उन्होंने झूठे मुकदमे न लेना, छल-कपट से दूर रहना, गरीबों को निःशुल्क कानूनी सलाह देना, मुव्वकिलों के साथ सद्‍व्यवहार करना, अपने वकालती जीवन का आदर्श बनाया।

इन्हीं सिद्धान्तों का पालन करके केवल पेशे में ही नहीं, बल्कि जीवन के हर पहलू में चौधरी साहब बहुत ऊंचे उठ गये थे। इन्हीं दिनों 1915 में चौधरी छोटूराम जी ने 'जाट गजट' नाम का क्रांतिकारी अखबार शुरू किया जो हरयाणा का सबसे पुराना अखबार है, जो आज भी छपता है और जिसके माध्यम से छोटूराम जी ने ग्रामीण जनजीवन का उत्थान और साहूकारों द्वारा गरीब किसानों के शोषण पर एक सारगर्भित दर्शन दिया था जिस पर शोध की जा सकती है। चौधरी साहब ने किसानों को सही जीवन जीने का मूलमंत्र दिया। जाटों का सोनीपत की जुडिशियल बैंच में कोई प्रतिनिधि न होना, बहियों का विरोध, जिनके जरिये गरीब किसानों की जमीनों को गिरवी रखा जाता था, राज के साथ जुड़ी हुई साहूकार कोमों का विरोध जो किसानों की दुर्दशा के जिम्मेवार थे, के संदर्भ में किसान के शोषण के विरुद्ध उन्होंने डटकर प्रचार किया।

सर छोटूराम ने ही भाखड़ा बांध का प्रस्ताव रखा था। सतलुज के पानी का अधिकार बिलासपुर के राजा का था। झज्जर के महान सपूत ने बिलासपुर के राजा के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए।

सन् 1924 से 1945 तक पंजाब की राजनीति के अकेले सूर्य चौ. छोटूराम का 9 जनवरी 1945 को देहावसान हो गया।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

प्राइवेट लिमिटेड कंपनी बनकर रह गई है सरकार-श्योराण

दो विभागों की आपसी खींचतान में पिस रही शहर की जनता

प्रोपर्टी सर्वे घोटाले में दोषियों के खिलाफ होगा जन आंदोलन